Jay ki baten :::: जय की बातें
रविवार, 16 जनवरी 2011
देखो
रुकी पलकों थमी
सांसों वाले आदमी के तलवों को
थरथराते मिलेंगे मिटटी के कण
मिटटी के पांवों में जिन्दा मिटटी.
1 टिप्पणी:
उम्मतें
सोमवार, 17 जनवरी 2011 को 6:45:00 pm GMT-8 बजे
गजब की अनुभूति है !
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
aap svasth rahen.
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरे बारे में
जय श्रीवास्तव
उज्जैन, मध्यप्रदेश, India
कुछ खास नहीं !
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
गजब की अनुभूति है !
जवाब देंहटाएं