शुक्रवार, 18 जून 2010

मुड़ गया था मैं  अपनी तरफ , और टकरा गया नावजूद से. पर लगी थी खासी . यही तो है ख़ासियत .कि होते हैं तो खूब ही होते हैं बर्बाद. मानो फसल के माफिक हों हम जमीं.  खूब मौसम  मिलता है खिजां का. पहाड़ से टकरा -२ के आवाज के आने का. में बस थोडा सिसका ही  तो था -- 'main अकेले ही में मजे में -------'

1 टिप्पणी:

aap svasth rahen.

मेरे बारे में

उज्जैन, मध्यप्रदेश, India
कुछ खास नहीं !