जो हरियाली के बीच रास्ता, हम तक आता हुआ , इतना adhoora ना होता,जो सांसों के बीच कम्पन इतना थका-सा ना होता, जो हम दोनों के फूलों के बीच एक दो ये कली /कलियाँ ना होतीं,, जो मुझ तक आती ठंडी हवा तुममें से होके कुनकुनी ना हुई होती, मैं क्यों अपने दुखतेपन को सबके सामने सेक रहा होता / मैं क्यों थोडा -थोडा लिख कर रिस रहा होता/
एक सुंदर रचना , बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
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