Jay ki baten :::: जय की बातें
सोमवार, 12 जुलाई 2010
वो जानते हैं खो के मिल जाने का हुनर -- डूब के उबर आने का ----बिना थके मीलों चलते जाने का.; यहाँ तो शाम हो गयी , हो ना पाए बराबरी से बैठने के काबिल;
1 टिप्पणी:
उम्मतें
सोमवार, 12 जुलाई 2010 को 3:14:00 am GMT-7 बजे
हाहाहा ..जोरदार !
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