Jay ki baten :::: जय की बातें
बुधवार, 7 जुलाई 2010
रहने दो समुद्र को सोता हुआ. रहने दो धरती को तैरती हुई --एक ही जगह पर . खोने दो आसमान को विस्तार की गोद में. मैं चित्र बना रहा हूँ.-- लैंडस्केप. तुम पीछे से आके लिपट मत जाना,मैं हिल जाऊंगा. तुम्हारे बदन-सा.
2 टिप्पणियां:
माधव( Madhav)
बुधवार, 7 जुलाई 2010 को 2:59:00 am GMT-7 बजे
wah wah
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उम्मतें
बुधवार, 7 जुलाई 2010 को 4:07:00 am GMT-7 बजे
अदभुत अदभुत अदभुत !
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wah wah
जवाब देंहटाएंअदभुत अदभुत अदभुत !
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